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Friday, May 29, 2020
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TUM HAME KYA DOGE? by MANOJ MUNTASHIR
मजदूर है हम, और हम मानते है की तुमसे थोड़ा अलग है
तुम्हारे जिस्म लहू और हड्डियों से बने है, हमारे सीमेंट और गिट्टियों से
तुम माँ की कोख से जनम लेते हो हम कारखाने की भट्टियों से
हम खदानों की कोयला है तुम तिजोरी का सोना
तुम्हे पूरी दुनिया चाहिए हमें सिर्फ ,एक कोना
बहुत मुश्किल है तुम्हारा और हमारा एक सा होना
ये बराबरी का दौर है यहाँ किसी को छोटा कहते अच्छा नहीं लगता
पर तुम्हे कहे भी तो क्या कहे?
तुम बेचारे महंगे मर्तबानों के मारे अपनी प्यास के लिए मिटटी के एक बर्तन नहीं कमा पाए
जिंदगी भर दौड़ते रहे और हमारी तरह पैरो के छाले नहीं कमा पाए
स्क्वायर फीटस के बाशिंदो कभी जमीन पे बिछा के सोये हो क्या?
ब्रिक्सिट पे आंसू बहाने वालो कभी भरत मिलाप देख के रोये हो क्या?
तुम्हारे जखम मरहमों के मोहताज है,
और हमें चोट लग जाए तो धुप के फ़रिश्ते आके अपनी अंगुलियों का सेंक देते है
तुम्हारे पास दुखो के वो हीरे कहाँ जो हमारे बच्चे खेल के फेक देते है
तुम जुगुनुओं के जागीरदार हम तड़कता हुआ आफ़ताब है
तुम नक्शो पे खिंची तंग दिल हक़ीक़त हम नयी दुनिया का दरिया दिल ख्वाब है
तुम सिर्फ जिंदाबाद हो हम इंक़लाब है
यानी तुम बहुत मामूली हो हम बहुत नायब है
इसलिए आज हम अपनी गलती क़ुबूल करते है
हमने मांगने से पहले देने वाले का बौनापन नहीं देखा
हमारी मेहनतो का कद तुम्हारी इमारतों से बड़ा है
तुम हमें क्या दोगे?
तुम्हारी एक-एक ईंट पर हमारी पसीने का उधार चढ़ा है
तुम हमें क्या दोगे?
२१वी सदी में महाशक्ति बनने का तुम्हारा सपना हमारे पैरो पे खड़ा है
तुम हमें क्या दोगे? हम देते है तुम्हे
ये वचन की आज तुम्हे छोड़ के जा रहे है पर वापस लौट के आएंगे
तुम्हारी ये क़ायनात जो उजाड़ गयी है इसे फिर बसायेंगे
जिंदगी का मलबा देखकर आंसू मत बहाओ
हम ईश्वर के हाथ है तुम्हारे लिए एक नयी दुनिया बनाएंगे
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About Vivek Mishra
The Author has the Master Degree in technology and well experience in the core field.He is passionate about sharing the knowldegde and travelling at different places.
He is the fond of learning and implementing of technical skills.He is continue focus to teaching youth and help them to get a better career guide.
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